Wednesday, 18 February 2015
Badlapur Movie Press Conference | BCR NEWS
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Acharya Aman Talking on Geeta (Krishna Yog) with BCR NEWS
Sant, Sanskar, Sanskriti Mission by Muni Shri Jayant Kumar Ji | BCR NEWS
नाटक “दूसरा अध्याय” की सशक्त प्रस्तुति

इस नाटक को दो स्तरों पर देखा जा सकता है । प्रथम द्रष्टि पर यह मात्र एक प्रेम प्रकरण प्रतीत हो सकता है, अभय और नीरजा अचानक मिलते है और इतने निकट आ जाते हैं की पुराने सम्बन्धों को छोड़ कर एक एक दूसरा अध्याय प्रारम्भ करने का विचार कर लेते हैं । ऐसा क्यों हो जाता है ? और अब आगे वे क्या करेंगे, कैसे करेंगे ? ये प्रश्न नाटक को रोचक बनाए रहते हैं । अनेक दर्शकों को प्रतीत होता है की कभी न कभी वो भी इसी नाटक के पात्र रहे थे , या संभवतः आज भी हैं, या अभय या नीरजा ।
किन्तु इस से ऊपर देखा जाए तो कुछ और प्रश्न उठ कर आते हैं । हम जो कर रहे हैं क्या उसपर हमारा कोई नियंत्रण है ? ऐसा कैसे हो जाता है की अचानक परिस्थितियाँ हमें किसी अन्य ही दिशा में ले जाती हैं, और हम अपनी प्रक्रति के वशीभूत हो कर कालचक्र के द्वारा निर्धारित मार्ग पर चल पड़ते हैं ।
भगवद - गीता का यही विषय हैं । गीता के अंत में श्री कृष्ण कहते हैं ' हे अर्जुन , तुम यह जो कह रहे हो की तुम युद्ध नहीं करोगे यह तुमहारा अहं ( भ्रम ) है । जब युद्ध प्रारम्भ होगा तब तुम्हारी योद्धा ( क्षत्रिय ) प्रक्रति तुम्हें स्वयं युद्ध की तरफ ले जाएगी । '
केवल दो पात्रों का नाटक लिखना भी सहज नहीं है...लेखक अजय शुक्ला ने दूसरा अध्याय नाटक लिख कर अपनी सशक्त लेखनी का परिचेय दिया है ... दो पात्रो का नाटक करना भी कोई सहज प्रयास नहीं होता है, पारुल अग्रवाल( नीरजा) किशन भान (अभय) ने इन किरदारों को निभा कर अपने सशक्त अभिनय का परिचेय दिया....नाटक का चोथा अध्याय बहुत ही संवेदनशील है ...अपने सशक्त अभिनय से पारुल अग्रवाल और किशन भान ने दर्शको को भावुक कर दिया .....और इसका पूरा श्रेय निर्देशक मंजुल कपूर जी को जाता है जिन्होंने इन दो पात्रो के माध्यम से दर्शको को अंत तक बांधे रखा...|...जीवन प्रशचिन्हों से भरा है । इसी कारण नाटक का अंत भी एक प्रश्नचिन्ह ही छोड़ जाता है ।
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