Tuesday 14 November 2023

'12वें बीसीआर भारत आइकोनिक अवार्ड 2023' का हुआ आग़ाज़, बॉलीवुड हस्तियों के साथ दिल्ली में होगा धमाल | BCR NEWS

 अजय शास्त्री/नई दिल्ली। हमेशा की तरह इस बार भी '12वें बीसीआर भारत आइकोनिक अवार्ड 2023' से देश के उन प्रतिभाशाली व्यक्तियों को सम्मानित किया जायेगा जिन्होंने देश और समाज के लिए अपना योगदान दिया है। 

आपको बता दें कि '12वें बीसीआर भारत आइकोनिक अवार्ड 2023' का आगाज हो चुका है, बीसीआर यानि बॉलीवुड सिने रिपोर्टर (समाचार पत्र) द्वारा '12वें बीसीआर भारत आइकोनिक अवार्ड 2023' का आयोजन दिल्ली में होने जा रहा है।


इस कार्यक्रम के आयोजक है फिल्म निर्माता-निर्देशक व बॉलीवुड सिने रिपोर्टर (समाचार पत्र) के संपादक-प्रकाशक अजय शास्त्री। 

आपको बता दें कि '12वें बीसीआर भारत आइकोनिक अवार्ड 2023' आखिरकार है क्या ? जी हाँ, बीसीआर अवार्ड ‘‘बॉलीवुड सिने रिपोर्टर‘‘ समाचार पत्र से प्रेरित है यानि ‘बॉलीवुड सिने रिपोर्टर’ समाचार पत्र का सूक्षम रूप ‘बीसीआर’, यह एक फिल्म ट्रेड समाचार पत्र है, जो देश दुनिया को बॉलीवुड से जोड़ने के साथ-साथ देश-दुनिया के उपलब्धि और ख्याति प्राप्त अतिविशिष्ट व सम्मानित व्यक्तियों को अवार्ड देकर भारत का नाम रोशन करने का प्रयास कर रहा है जिसमे भारत की समस्त मीडिया का समर्थन बीसीआर को मिल रहा है, हमें इस बात कि बहुत ही खुशी है कि भारत का समस्त मीडिया संगठित होकर हमारे साथ कंधे से कन्धा मिलाकर 'बीसीआर अवार्ड' को सफल बनाने का पूरा प्रयास कर रहा है।

'बीसीआर अवार्ड' एक सामाजिक अवार्ड है जिसमे देश-विदेश के उपलब्धि और ख्याति प्राप्त अतिविशिष्ट व समाजहित में कार्य करने वाले व्यक्तियों को दिया जाता है यह अवार्ड पाने के लिए आपको एक पूरी प्रक्रिया से गुजरना होता है आपको अपना प्रोफाइल हमें मेल करना होता है जिसको हमारे जूरी मेंबर्स चेक करते है कि आपने समाजहित और देशहित में कुछ किया है या नहीं, उसी के आधार पर आपका चयन किया जाता है, अगर आपका प्रोफाइल इस लायक है कि आपको अवार्ड से सम्मानित किया जाए तो आपको ससम्मान ‘‘बीसीआर अवार्ड’’ से सम्मानित किया जायेगा।

आपको बता दें कि अजय शास्त्री 'बीसीआर न्यूज़' यानि 'बॉलीवुड सिने रिपोर्टर' (समाचार पत्र) के संपादक व प्रकाशक हैं, शास्त्री जी इसके अलावा फिल्म निर्माता/निर्देशक व फिल्म एसोसिएशन ‘नार्थ इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन डेवलपमेंट एसोसिएशन‘ के अध्यक्ष व संस्थापक भी है, शास्त्री जी फिल्मी दुनिया में लगभग 29-30 सालों से कार्यरत है और बॉलीवुड में एक खास मुकाम बनाये हुए है. शास्त्री जी का एक खास सपना ये भी है कि भारत के प्रत्येक राज्य में भी फिल्म इंडस्ट्री की स्थापना हो जिससे फिल्म निर्माता अपने राज्य में फिल्मों का निर्माण कर सके, जिसका सीधा फायदा निर्माता व प्रदेश की सरकार को होगा।

Ckick the Link for Nomination:

Link - Nomination Form for 12th BCR BHARAT ICONIC AWARD 2023

Thursday 2 November 2023

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Parul Chaudhary की चुनौती भरी मुहीम '75 दिन-75 गांव' जिला बागपत को दे रही विश्व पटल पर पहचान | Ajay Shastri

Report by Ajay Shastri

बीसीआर न्यूज़/दिल्ली:  इंसान अगर चाहे तो कुछ भी कर सकता है, बस जज़्बे और जुनून की जरुरत होती है, जिस दिन आपने ये ठान लिया कि आंधी आये या तूफ़ान मुझे ये करना है तो करना है, उस कार्य को स्वयं भगवान् भी आकर नहीं रोक सकते। जी हाँ, ऐसी ही जज़्बे और जुनून वाली महिला से हम आपकी आज मुलाकात कराने जा रहे हैं जिन्होंने एक मिसाल कायम की है और गांव दर गांव जाकर लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ गांव के इतिहास को विश्व पटल पर ला रही हैं और समाज को एक नई दिशा देने का प्रयास कर रही हैं। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं पारुल चौधरी की, जिनका जन्म उत्तर प्रदेश के जिला बागपत के गांव तुगाना में हुआ, पिता का नाम देवराज सिंह, माता का नाम सुदेशना, पारुल ने देहरादून से शिक्षा प्राप्त की है और शादी हुयी है जिला बिजनौर के अवनीश आर्य से। 


आपको बता दें तुगाना की रहने वाली पारुल चौधरी ने एक मुहीम शुरू की है ये मुहीम है - '75 दिन - 75 गांव'। इस मुहीम के तहत पारुल ने सभी गांव की सुंदरता, गांव का इतिहास, गांव में ऐसी कौन सी ऐतिहासिक चीज हैं जिसको विश्व पटल पर सार्वजानिक की जाये, जिससे जिला बागपत के साथ-साथ उत्तर प्रदेश का नाम भी रोशन हो सके क्योंकि जिला बागपत में लगभग सभी गांव का अपना एक इतिहास रहा है वह चाहे किसी भी क्षेत्र में हो। 

इस मुलाकात के दौरान पारुल ने बताया कि '75 दिन - 75 गांव' की इस मुहीम में उनको सबसे ज्यादा सहयोग उनके ससुर विनय चौधरी, उनके भाई आदित्य और उनके पति अवनीश आर्य का मिल रहा है। 

पारुल चौधरी की इस चुनौती भरी मुहीम के मुताबिक से ये भी जग-जाहिर हो रहा है कि पहले के मुताबिक अब उत्तर प्रदेश में लड़कियां कितनी सुरक्षित हैं और लड़कियां खुले आसमान के नीचे सांस ले रही है और अपने सपनो को पूरा कर रहीं हैं। 

पारुल ने अभी तक 25 गांव का सफर तय कर लिया है जो बहुत ही आनंदमयी और सफल साबित हुआ है, इस सफर में जो प्यार-दुलार पारुल को मिल रहा है वह ये साबित करता है कि जिला बागपत के हर गांव में अभी भी वही इंसानियत मौजूद है जो हम वर्षों से हम सुनते आ रहे हैं। 

पारुल के मुताबिक '75 दिन-75 गांव' की इस मुहीम का सफर अभी जारी है आशा करती हूँ कि आगे का सफर भी ऐसे ही प्यार-दुलार के साथ पूरा हो जायेगा और ये सफर एक ऐतिहासिक मिसाल भी कायम करेंगा जिसका हम अभी से अनुभव कर रहे हैं। आपको बता दें कि जब हमने इस सफर को शुरू किया था उस वक़्त थोड़ी सी कठिनाइयों का सामना तो हमें करना पड़ा था क्योंकि एक लड़की का घर से निकल कर इस तरह से गांव - गांव घूमना और प्रत्येक गांव को विश्व पटल पर लाना, किसी भी चुनौती से कम नहीं था मगर अब ये सफर बहुत ही आसान हो गया है और हम आसानी से इस सफर का आनंद लेते हुए इस चुनौती भरे सफर को पूरा कर रहे है इसके लिए सभी क्षेत्रवासियों का बहुत-बहुत धन्यवाद।  


  

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