Thursday 10 July 2014

फिल्म समीक्षा: हंप्टी शर्मा की दुल्हनिया


फिल्म समीक्षा: हंप्टी शर्मा की दुल्हनिया
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फिल्म समीक्षक : -अजय शास्त्री-
(संपादक) बॉलीवुड सिने रिपोर्टर 
Email: editorbcr@gmail.com
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कलाकार : वरूण धवन, आलिया भट्ट, सिद्धार्थ शुक्ला, आशुतोष राणा
निर्माता : हीरू जौहर, करण जौहर
निर्देशक : शशांक खेतान
संगीत : सचिन—जिगर, शारिब—तोशी
स्टार :  ३ स्टार 
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बीसीआर (नई दिल्ली) इस फिल्म की कहानी काफी हद तक फिल्म 'दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे' से मेल खाती है परन्तु ऐसा भी नहीं है कि कहानी में नयापन न हो फिल्म मै काफी हद तक नयापन देखने को मिलेगा। इसके लिए डायरेक्टर शशांक खेतान की सराहना करनी होगी कि उन्होंने कहानी को बेहतरीन ढंग से पेश किया है। इस फिल्म की जान फिल्म के डायलॉग और गाने है, जो अंत तक दर्शकों को बांधे रखते है। वरूण धवन व आलिया भट्ट की जबरदस्त कैमिस्ट्री इस फिल्म की यूएसपी है।
कहानी : राकेश शर्मा उर्फ हंप्टी शर्मा (वरूण धवन) दिल्ली में रहने वाला मस्तमौला लड़का है तथा वह जुगाडू किस्म का इंसान है। हंप्टी अपने पिता की दुकान पर पिता का हाथ बंटाता है। वहीं काव्या प्रताप सिंह (आलिया भट्ट) अम्बाला में रहती है तथा अपनी शर्तों पर जीने वाली लड़की है। काव्या की डेढ़ महीने बाद शादी होनी है तथा उसकी शर्त है करीना कपूर का कीमती लहंगा, जो उसे शादी में पहनना है। लहंगा लेने के लिए काव्या अपने मामा के यहां दिल्ली चली जाती है और वहीं उसकी मुलाकात हंप्टी से होती है। हंप्टी से पहले तो उसकी नोंक—झोंक होती है परन्तु हंप्टी उसकी सहायता करता है। हंप्टी और काव्या का मेल—जोल बढ़ने लगता है तथा दोनों एक—दूसरे के प्यार में गिरफ्त हो जाते हैं। परन्तु काव्या अपने पिता का दिल नहीं तोड़ना चाहती तथा एनआरआई लड़के अंगद बेदी (सिद्धार्थ शुक्ला) से शादी के लिए तैयार हो जाती है। उधर हंप्टी अपना प्यार पाने के लिए अम्बाला चला आता है और काव्या के पिता से मिलता है। अब काव्या के पिता हंप्टी के सामने ऐसी शर्त रखते हैं कि हंप्टी के होश उड़ जाते हैं। क्या है वो शर्त ? क्या हंप्टी को काव्या मिल पाएगी ? यह सब तो आपको हंप्टी शर्मा या उसकी दुल्हनिया ही बता सकते हैं और इसके लिए आपको सिनेमा का रूख करना होगा।
अभिनय : वरूण धवन हंप्टी शर्मा के किरदार में जमे हैंं तथा उनका अभिनय काबिल—ए—तारीफ है। आलिया भट्ट ने भी जबरदस्त अभिनय किया है। सिद्धार्थ शुक्ला की यह डेब्यू फिल्म हैं परन्तु उन्होंने अपने किरदार को शत प्रतिशत निभाया है। सिद्धार्थ अपनी छाप छोड़ने में पूरी तरह कामयाब रहे हैं। आशुतोष राणा ने भी अपने किरदार को पूरी तरह से निभाया है।
डायरेक्शन : डायरेक्टर शशांक खेतान की यह पहली डायरेक्टोरियल फिल्म है। शशांक ने सभी किरदारों से बखूबी काम लिया है।
संगीत : सचिन—जिगर व शारिब—तोशी का संगीत कर्णप्रिय है। फिल्म के गाने 'सेटरडे—सेटरडे' व 'तेनू समझावां' श्रोताओं की जुबां पर सुने जा सकते हैं।
निष्कर्ष : यह फिल्म आपको कभी गुदगुदाएगी तो कभी रुलाएगी. कुल मिलाकर इस सप्ताह आप हंप्टी शर्मा व उसकी दुल्हनिया से नि:संकोच मिलने जा सकते हैं। यह आपको निराश नहीं करेंगे। आप थिएटर से हँसते हुए ही बहार आएंगे ये हमारा आपसे वादा है, इस लिए मै इस फिल्म को ३ स्टार देता हूँ.

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