Sunday 21 September 2014

आर्यन सक्सेना की कलम से निकली "देसी कट्टे"



आर्यन सक्सेना की कलम से निकली "देसी कट्टे"  
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आफ़ाक़ खान ‘समीर‘ 
(ब्यूरो चीफ-दिल्ली/एनसीआर)
बॉलीवुड सिने रिपोर्टर 
Email.: editorbcr@gmail.com
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दोस्त के लेखकीय प्रोत्साहन से प्लेबैक सिंगर की बजाय लेखक बन गया: आर्यन सक्सेना 
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बीसीआर (नई दिल्ली/एनसीआर) फिल्म 'देसी कटटे' के लेखक आर्यन सक्सेना से "बालीबुड सिने रिपोर्टर" के विशेष संवाददाता आफ़ाक़ खान ‘समीर‘ का एक्सक्लुसिव साक्षात्कार. एक हिन्दी फिल्म का बहुत ही लोकप्रिय गाना है ‘निकले थे कहां जाने के लिए, पहुंचेगे कहां मालूम नही‘। वाकई जिंदगी में  बहुत कुछ ऐसा होता है कि हम करना तो कुछ चाहते हैं लेकिन होता कुछ और ही है। बनना हम कुछ चाहते हैं लेकिन हमारी किस्मत में बनना कुछ और ही लिखा होता है। ख़ासकर ऐसा उन लोगों के साथ ज्यादा हुआ है जो फिल्म लाइन में अपना करियर बनाने के लिए दूसरे राज्यों से मायानगरी मुंबई पहुंचे और अपनी चाहत के विपरीत उनके करियर को पहचान मिली। मसलन मुकेश गये थे हीरी बनने बन गये गायक, किशोर दा बनना चाहते थे एक्टर लेकिन पहचान मिली एक पाश्र्व गायक के रूप में।
ऐसा ही कुछ इत्तेफ़ाक 26 सितम्बर को रिलीज होने वाली फिल्म ’देसी कटटे’ के लेखक आर्यन सक्सेना के साथ हुआ। करीब डेढ दशक पूर्व अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद आर्यन सक्सेना उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जनपद से दिल में एक पार्श्व  गायक बनने की हसरत लिये मायानगरी मुंबई पहुंचे थे। जीवन में लक्ष्य पाने के लिए अपनी धुन के पक्के आर्यन सक्सेना जी वर्षो फिल्म इंडस्ट्री में संघर्ष करते रहे और गायकी में अपनी पहचान बनाने के लिए अपनी किस्मत आजमाते रहे। अपनी मेहनत, लगन और प्रतिभा के बल पर खुद को समय-समय पर साबित भी किया लेकिन कोई गाॅडफादर न मिलने से वह मुकाम हासिल नहीं कर सके जिसके वे हक़दार थे। उन्हें दरकार थी तो उस घडी कि जिसमें वे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुत करके खुद को साबित कर सके।
फिल्म "देसी कटटे" के लेखक आर्यन सक्सेना से "बालीबुड सिने रिपोर्टर" के विशेष संवाददाता "आफ़ाक़ खान ‘समीर‘" का एक्सक्लुसिव साक्षात्कार में अपने करियर से जुडे अनेक अनछुए पहलुओं पर बेबाकी से चर्चा की। प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:-
बीसीआर- आप गायक बनने की बजाय लेखन के क्षेत्र में कैसे आ गये ?
आर्यन - दरअसल संघर्ष के समय अधिकांश साथी लेखन से जुडे थे। एक दिन उनमें से एक दोस्त ने कहा कि यार क्या गायकी के ही पीछे पडे हो, तुममे एक लेखक छुपा हुआ है। अपनी इस लेखकीय प्रतिभा का इस्तेमाल क्यों नही करते ? फुरसत के समय कुछ कहानी, वार्तालाप आदि लिखा करो, देखना जल्द ही एक दिन सारी इंडस्ट्री में बतौर लेखक आपके नाम का डंका बजना तय है। भले ही दोस्त ने ये बातें उसने प्रोत्साहित करने के लिए कहीं थी लेकिन ये बातें मेरे दिल में उतर गयीं। मैंने लेखन के बारे में गंभीरता से सोचा और परिणाम आपके सामने है। मेरी लिखी हुई फिल्म ’देसी कटटे’ इसी माह 26 तारीख को रिलीज होने वाली है। 
बीसीआर- आपको अपनी इस फिल्म से क्या उम्मीद है ?
आर्यन - मुझे पूरी उम्मीद है कि यह फिल्म दर्शको को बहुत पसंद आएगी। यह फिल्म समाज को एक सकारात्मक संदेश देगी।
बीसीआर- फिल्म में कौन-कौन हीरो-हीरोइन है ?
आर्यन - इस फिल्म में अखिल कपूर व जय भानुशाली मुख्य भूमिका में हैं जबकि सुनील शेटटी की भी महत्वपूर्ण रोल है। अखिल कपूर नया हीरो है। उनकी ये पहली फिल्म है। अखिल फिल्म इंडस्ट्री में पले पढे है। वे सुविख्यात एक्टर विनोद खन्ना के भांजे हैं। इस फिल्म में एक नई हीरोइन को भी मौका मिला है। शाशा आगा खान व टीया वाजपेयी दो प्रमुख नायिकाएं हैं। इनमें शाशा पाश्र्व गायिका सलमा आगाा की बेटी है। टीया पहले भी कई और फिल्मों में काम कर चुकी है। उसकी हाल ही में 'हांटेंड' और 'आइडेंटिटी कार्ड' फिल्म आयी थी।
बीसीआर- फिल्म की कहानी के बारे में कुछ बताइये ?
आर्यन - फिल्म की कहानी दो अनाथ लडको की है। जो बचपन में ही अपराध की दुनिया में सक्रिय हो जाते है और अवैध हथियार के कारोबार से जुड जाते हैं। ये दोनो शार्प शूटर होते हैं। सुनील शेटटी एक शूटिंग रेंज के कोच की भूमिका में हैं। वे दोनो को निशानेबाजी की ट्रेनिंग देते है। इनमें से एक लडका अच्छी संगत के कारण एक इंसान बन जाता है जबकि दूसरे का रिश्ता जरायम की दुनिया से होने के बावजूद दोनो की दोस्ती बरकरार रहती है। जैसा कि सदियों से चला आ रहा है कि बुराई का अंजाम बुरा ही होता है। सही संदेश इस फिल्म में देने की कोशिश की गयी है। मुुझे पूरा विश्वास है कि फिल्म दर्शको पर अपनी छाप छाप छोडने में कामयाब होगी। 
और एक खास बात हम आपको बताते हैं कि सुनील शेट्टी (अन्ना) और आर्यन सक्सेना एक दूसरे से बहुत- बहुत प्यार करते हैं.
नोट: बॉलीवुड सिने रिपोर्टर (बीसीआर न्यूज़) की समस्त टीम की और से फिल्म "देसी कट्टे" की सफलता की हार्दिक शुभकामनाये 


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