फिल्म समीक्षा - चरफुटिया छोकरे (दो स्टार)
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समीक्षक - अजय शास्त्री (संपादक)
बॉलीवुड सिने रिपोर्टर
Email: editorbcr@gmail.com
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प्रमुख कलाकार: सोहा अली खान, सीमा बिस्वास, जाकिर हुसैन और हर्ष मयार।
निर्देशक: मनीष हरिशंकर
संगीतकार: अभिजीत-समीर और सुदीप बनर्जी।
रेटिंग: दो स्टार
अवधि: 120 मिनट
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समीक्षक - अजय शास्त्री (संपादक)
बॉलीवुड सिने रिपोर्टर
Email: editorbcr@gmail.com
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प्रमुख कलाकार: सोहा अली खान, सीमा बिस्वास, जाकिर हुसैन और हर्ष मयार।
निर्देशक: मनीष हरिशंकर
संगीतकार: अभिजीत-समीर और सुदीप बनर्जी।
रेटिंग: दो स्टार
अवधि: 120 मिनट
बीसीआर (नई दिल्ली) लेखक-निर्देशक मनीष हरिशंकर ने बाल मजदूरी के साथ बच्चों के अपहरण के मुद्दे को 'चारफुटिया छोकरे' में छूने की कोशिश की है। उन्होंने बिहार के बेतिया जिले के एक गांव बिरवा को चुना है। उनके इस खयाली गांव में शोषण और दमन की वजह से अपराध बढ़ चुके हैं। संरक्षक पुलिस और व्यवस्था से मदद नहीं मिलने से छोटी उम्र में ही बच्चे अपराध की अंधेरी गलियों में उतर जाते हैं। इस अपराध का स्थानीय संचालक लखन है। सरकारी महकमे में सभी से उसकी जान-पहचान है। वह अपने लाभ के लिए किसी का भी इस्तेमाल कर सकता है।
इस पृष्ठभूमि में नेहा अमेरिका में सुरक्षित नौकरी छोड़ कर लौटती है। उसकी ख्वाहिश है कि अपने पूर्वजों के गांव में वह एक स्कूल खोले। गांव में स्कूल जाते समय ही उसकी मुलाकात तीन छोकरों से होती है। वह उनके जोश और चंचल व्यवहार से खुश होती है। स्कूल पहुंचने पर नेहा को पता चलता है कि तीनों छोकरे शातिर अपराधी हैं। उनकी कहानी सुनने पर मालूम होता है कि दमन के विरोध में उन्होंने हथियार उठा लिए थे। नेहा स्वयं ही प्रण करती है कि वह इन बच्चों को सही रास्ते पर लाएगी। स्थानीय बाहुबली लखन से उसकी भिड़ंत होती है। इस टकराव में सिस्टम की गड़बडिय़ां उभरती हैं।
लेखक-निर्देशक का नेक इरादा पर्दे पर प्रभावशाली तरीके से नहीं उतर पाया है। चुस्त कहानी और बिखरे स्क्रिप्ट में किरदारों को सही ढंग से विकसित नहीं किया जा सका है। एक साथ कई मुद्दों को छूने और स्क्रिप्ट में लाने की कोशिश में लेखक-निर्देशक असफल रहे हैं। कलाकारों में सोहा अली खान, जाकिर हुसैन, मुकेश तिवारी और बाल कलाकार हर्ष मयार ने अवश्य अपनी अदाकारी से फिल्म को मजबूत करने की कोशिश की है, लेकिन वे निर्देशक और लेखक की ढीली सोच के शिकार हो गए हैं।
फिल्म का पार्श्व संगीत असंगत है। उदाहरण के लिए जीप चलने से सड़क पर जमा पानी के उछलने की आवाज बेमेल है। कलाकारों का लहजा बदलता रहता है। कभी वे फिल्मी बिहारी लहजा ले आते हैं और कभी मुंबइया लहजे में बोलने लगते हैं।