Friday, 31 October 2014

ROAR : Film Review by Ajay Shastri (3-Star)


फिल्म समीक्षा : रोर
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फिल्म समीक्षक : अजय शास्त्री
संपादक, बॉलीवुड सिने रिपोर्टर
Email: erditorbcr@gmail.com
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प्रमुख कलाकार: अभिनव शुक्ला, हिमार्षा वेंकटस्वामी, अंचित कौर और आरन चौधरी
निर्देशक: कमल सदाना
संगीतकार: जॉन स्टीवर्ट बीजीएम
रेटिंग : तीन स्टार 
अवधि-123 मिनट
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(बीसीआर) दोस्तों फ़िल्में तो आप बहुत देखते होंगे मगर "रोर" फिल्म एक दम अलग है, निर्देशक कमल सदाना ने नए विषय पर फिल्म बनाने की कोशिश की है। सुंदरवन के जंगलों में यह एक सफेद बाघ की खोज से संबंधित कहानी है। 'रोर' में वास्तविक लोकेशन के साथ वीएफएक्स का भरपूर उपयोग किया गया है। फिल्म के अंत में निर्देशक ने स्वयं बता दिया है कि कैसे शूटिंग की गई है? निर्देशक की इस ईमानदारी से फिल्म का रहस्य टूटता है।
उदय फोटोग्राफर है। वह जंगल की खूबसूरती कैमरे में कैद करने आया है। अपनी फोटोग्राफी के दौरान वह सफेद बाघ के एक शावक को बचाता है। बाघिन अपने शावक की गंध से उदय के कमरे में आ जाती है। वह उसे मार देती है। उदय की लाश तक नहीं मिल पाती। उदय का भाई पंडित सेना में अधिकारी है। वह अपने दोस्तों के साथ भाई की लाश खोजना चाहता है। साथ ही वह बाघिन को मार कर बदला लेना चाहता है। बदले की इस कहानी में बाघिन विलेन के तौर पर उभरती है। फॉरेस्ट ऑफिसर और स्थानीय गाइड के मना करने पर भी वह अपने अभियान पर निकलता है। इस अभियान में बाघिन और पंडित के बीच रोमांचक झड़पें होती हैं।
'रोर' में छिटपुट रूप से सुंदरवन के रहस्य उद्घाटित होते हैं। जंगल की खूबसूरती माइकल वॉटसन की फोटोग्राफी में निखरी दिखती है। फिल्म के एक्शन दृश्य भी ठीक हैं। कमी है तो फिल्म में नाटकीयता और उपयुक्त संवादों की। फिल्म के किरदार ढंग से नहीं गढ़े गए हैं। वे सही प्रभाव नहीं छोड़ पाते। हालांकि अभिनव शुक्ला ने पंडित की जिद को पर्दे पर उतारने की कोशिश की है। 'रोर' में सूफी (आरन चौधरी), आदिल चहल और वीरा (सुब्रत दत्‍ता) ही अपने किरदारों के साथ न्याय कर सके हैं।
ढीली पटकथा और कमजोर कहानी की वजह से 'रोर' बांध नहीं पाती। कहानी सुंदरवन में घुसती है, लेकिन इंसानों तक ही सीमित रहती है। बाघिन का चित्रण और फिल्मांकन किसी मनुष्य की तरह किया गया है। न्यू तकनिकी दृश्यों और भिड़ंत से फिल्म कमजोर हो गई है।

Super Nani : Film Review by Ajay Shastri (2.5 Star)


फिल्म समीक्षा : सुपर नानी 
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फिल्म समीक्षक : अजय शास्त्री
संपादक, बॉलीवुड सिने रिपोर्टर
Email: editorbcr@gmail.com
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प्रमुख कलाकार: रेखा, शरमन जोशी, रणधीर कपूर और अनुपम खेर।
निर्देशक: इंद्र कुमार
संगीतकार: हर्षित सक्सेना और संजीव-दर्शन।
रेटिंग : २.५ स्टार 
अवधि: 133 मिनट
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(बीसीआर) 'रंग' 'दिल' और 'बेटा' जैसी फिल्में दे चुके इंद्र कुमार पुराने स्कूल के माहिर निर्देशक के तौर पर जाने जाते हैं। हाल के बरसों में वे 'ग्रैंड मस्ती' जैसी सफल एडल्ट कॉमेडी भी दे चुके हैं। मगर 'सुपर नानी' कमजोर फिल्म है। फिल्म का विषय भले मार्मिक और नीयत पाक है, मगर उसकी पटकथा गढऩे में चूक कर दी गई है। हिंदुस्तान में अधिकांश घरों में बच्चों व बुजुर्गों का खयाल नहीं रखा जाता है। उस मुद्दे को इंद्र कुमार ने उठाया, पर उसका ट्रीटमेंट सतही है।
भारती भाटिया रईस बिजनेसमैन आरके भाटिया की पत्नी है। परिवार की बेहतरी के लिए उसने अपनी महत्वाकांक्षाओं की तिलांजलि दे दी। अपनी जिंदगी के चालीस साल उसने किचन को दे दिए। उसके पति और बहू-बेटे को भारती के महान त्याग का एहसास नहीं है। कदम-कदम पर उसे लूजर और बेवकूफ कहा जाता है। घर-परिवार की नजरों में उसकी जगह सिफर है। ऐसे में उसके तारणहार के तौर पर उसका नाती मन अमेरिका से आता है। वह भारती भाटिया के भीतर का स्वाभिमान जगाता है। उन्हें विज्ञापन जगत का एक जाना-माना नाम बनाता है। परिवार में उसकी जगह को फिर से पुख्ता करता है। रिया और विज्ञापन फिल्मकार मिस्टर सैमी ऊर्फ बम्बू उसकी मदद करते हैं।
भारती भाटिया का किरदार रेखा ने निभाया है। फिल्म पूरी तरह उनके कंधों पर टिकी है। उन्होंने अपनी भूमिका के साथ न्याय भी किया है। मन की भूमिका में शरमन जोशी हैं। वे अमेरिका से लौटे प्रवासियों की तरह भ्रष्ट हिंदी बालते हैं। बिजनेसमैन आरके भाटिया को रणधीर कपूर ने प्ले किया। क्रूर पति के तौर पर वे निर्दयी नहीं नजर आ पाए हैं। रिया के किरदार में श्वेता कुमार हैं, जो इंद्र कुमार की बेटी हैं। उन्हें नाममात्र का स्पेस मिला है। वह ध्यान खींच पाने में नाकाम रही हैं। अनुपम खेर विज्ञापन बनाने वाले शख्स के तौर पर असर नहीं छोड़ सके हैं। श्रेया नारायण फिल्म में बहू की भूमिका में हैं। ग्रे शेड को उन्होंने ठीक ठाक निभाया है।
हर्षित सक्सेना और संजीव-दर्शन की संगीत प्रभावहीन है। समीर और संजीव चतुर्वेदी के गीत औसत हैं।

Happy New Year : Film Review by Ajay Shastri (3.5 Star)


फिल्म समीक्षा : हैप्पी न्यू ईयर 
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फिल्म समीक्षक : अजय शास्त्री
संपादक, बॉलीवुड सिने रिपोर्टर
Email: editorbcr@gmail.com
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प्रमुख कलाकार: शाहरुख खान, दीपिका पादुकोण, अभिषेक बच्चन, बोमन ईरानी, सोनू सूद और विवान शाह
निर्देशक: फराह खान
निर्माता : रेड चिली प्रोडक्शन 
संगीतकार: विशाल
रेटिंग : 3.5 स्टार
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(बीसीआर) दोस्तों ये फिल्म सिर्फ लक पर चली है ये नहीं कहा जा सकता कि किसके लक से ये फिल्म चली है क्योंकि फिल्म में मल्टीस्टार कास्ट है फिल्म की वही घिसी पिटी कहानी है मगर पुराने घिसे पिटे फार्मूले को ही फराह खान ने अपने नए अंदाज में ऐसे पेश किया गया है कि दर्शकों को देखने के लिए मजबूर होना पड़ा. फराह खान और शाह रुख खान की जोड़ी की तीसरी फिल्म 'हैप्पी न्यू ईयर' आकर्षक पैकेजिंग का सफल नमूना है। पिता के साथ हुए अन्याय के बदले की कहानी में राष्ट्रप्रेम का तडका है। नाच-गाने हैं। शाहरुख की जानी-पहचानी अदाएं हैं। साथ में दीपिका पादुकोण, अभिषेक बच्‍चन, सोनू सूद, बोमन ईरानी और विवान शाह भी हैं। सभी मिलकर थोड़ी पूंजी से मनोरंजन की बड़ी दुकान सजाते हैं। इस दुकान में सामान से ज्‍यादा सजावट है। घिसे-पिटे फार्मूले के आईने इस तरह फिट किए गए हैं कि प्रतिबिंबों से सामानों की तादाद ज्‍यादा लगती है। इसी गफलत में फिल्म कुछ ज्‍यादा ही लंबी हो गई है। 'हैप्पी न्यू ईयर' तीन घंटे से एक ही मिनट कम है। एक समय के बाद दर्शकों के धैर्य की परीक्षा होने लगती है।
चार्ली (शाहरुख खान) लूजर है। उसके पिता मनोहर के साथ ग्रोवर ने धोखा किया है। जेल जा चुके मनोहर अपने ऊपर लगे लांछन को बर्दाश्त नहीं कर पाते। चार्ली अपने पिता के साथ काम कर चुके टैमी और जैक को बदला लेने की भावना से एकत्रित करता है। बाद में नंदू और मोहिनी भी इस टीम से जुड़ते हैं। हैंकिंग के उस्ताद रोहन को शामिल करने के बाद उनकी टीम तैयार हो जाती है। संयोग है कि ये सभी लूजर है। वे जीतने का एक मौका हासिल करना चाहते हैं। कई अतार्किक संयोगों से रची गई पटकथा में हीरों की लूट और वर्ल्‍ड डांस कंपीटिशन की घटनाएं एक साथ जोड़ी गई है। फराह खान ने अपने लेखकों और क्रिएटिव टीम के अन्य सदस्यों के सहयोग से एक भव्य, आकर्षक, लार्जर दैन लाइफ फिल्म बनाई है, जिसमें हिंदी फिल्मों के सभी प्रचलित फॉर्मूले बेशर्मी के साथ डाले गए हैं।
कहा जाता है कि ऐसी फिल्मों के भी दर्शक हैं। शायद उन्हें यह फिल्म भी अच्‍छी लगे। कला में यथास्थिति बनाए रखने के हिमायती दरअसल फिल्म को एक व्यवसाय के रूप में ही देखते हैं। 'हैप्पी न्यू ईयर' का वितान व्यावसायिक उद्देश्य से ही रचा गया है। अफसोस है कि इस बार फराह खान इमोशन और ड्रामा के मामले में भी कमजोर रही है। उन्होंने फिल्म की पटकथा में इसी संभावनाओं को नजरअंदाज कर दिया है। किरदारों की बात करें तो उन्हें भी पूरे ध्यान से नहीं रचा गया है। चार्ली के बदले की यह कहानी आठवें-नौवें दशक की फिल्मों का दोहराव मात्र है, जो तकनीक और वीएफएक्स से अधिक रंगीन, चमकदार और आकर्षक हो गया है।
कलाकारों में शाह रुख खान ऐसी अदाकारी अनेक फिल्मों में कर चुके हैं। वास्तव में यह फिल्म उनकी क्षमताओं का दुरुपयोग है। फराह खान ने अन्य कलाकारों की प्रतिभाओं की भी फिजूलखर्ची की है। दीपिका पादुकोण ने मोहिनी के किरदार में चार-छह मराठी शब्दों से लहजा बदलने की व्यर्थ कोशिश की है। बाद में डायरेक्टर और एक्टर दोनों लहजा भूल जाते हैं। अभिषेक बच्‍चन डबल रोल में हैं। उन्होंने फिल्म में पूरी मस्ती की है। स्पष्ट दिखता है कि उन्होंने सिर्फ निर्देशक की बात मानी है। अपनी तरफ से कुछ नहीं जोड़ा है। यही स्थिति बाकी कलाकारों की भी है। सोनू सूद धीरे-धीरे बलिष्ठ देह दिखाने के आयटम बनते जा रहे हैं। बोमन अपने लहजे से पारसी किरदार में जंचते हैं। विवान शाह साधारण हैं।
'हैप्पी न्यू इयर' निश्चित ही आकर्षक, भव्य और रंगीन है। फिल्म अपनी संरचना से बांधे रखती है। फिल्म का गीत-संगीत प्रभावशाली नहीं है। फराह खान खुद कोरियोग्राफर रही हैं। फिर भी 'हैप्पी न्यू ईयर' के डांस सीक्वेंस प्रभावित नहीं करते। दीपिका पादुकोण की नृत्य प्रतिभा की झलक भर मिल पाती है। फराह खान और शाह रुख खान की पिछली दोनों फिल्में 'मैं हूं ना' और 'ओम शांति ओम' से कमजोर फिल्म है 'हैप्पी न्यू ईयर'।

Jigariya : Film Review by Ajay Shastri (2 Star)


फिल्म समीक्षा : जिगरिया 
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फिल्म समीक्षक : अजय शास्त्री
संपादक, बॉलीवुड सिने रिपोर्टर
Email: editorbcr@gmail.com
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प्रमुख कलाकार: हर्षवर्धन देव, चेरी मार्डिया, वीरेंद्र सक्सेना और केके रैना
निर्देशक: राज पुरोहित
संगीतकार: अगनेल-फैजान और राज-प्रकाश।
रेटिंग : दो स्टार 
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(बीसीआर) दोस्तों आपने एक बात तो सुनी ही होगी कि "कौवा चला हंस की चाल अपनी भी भूल गया" ऐसा ही कुछ इस फिल्म में देखने को मिला, सन् 1986 की पृष्ठभूमि में ताजमहल के शहर में शामू और राधा की प्रेम कहानी ने जन्म तो लिया लेकिन उसे जीवन नहीं मिल पाया। 'प्रतिघात' और 'लव 86' फिल्मों के पोस्टर से भान हुआ कि यह फिल्म उस कालखंड की होगी। लेखक-निर्देशक ने किसी और तरीके से समय का संकेत नहीं दिया है। शामू हलवाई परिवार का लड़का है और राधा ब्राह्मण परिवार की लड़की है। अंतर्जातीय प्रेम और विवाह को आज भी पूर्ण स्वीकृति नहीं मिल पाई है। 28 साल पहले तो और भी मुश्किलें थीं।
निर्देशक राज पुरोहित ने अंतर्जातीय प्रेम और विवाह की इस फिल्म के लिए जिन किरदारों को अपना प्रतिनिधि चुना है, वे अपने व्यक्तित्व से प्रभावित नहीं करते। पढऩे-लिखने में फिसड्डी शामू शायरी के नाम पर तुकबंदी करता है और राधा तो अभी संभवत: स्कूल में ही पढ़ती है। ऐसे अव्यस्क किरदारों का प्रेम लिखना और दिखाना समीचीन नहीं है। खास कर फिल्म का अंत तो अनावश्यक और अप्रासंगिक है। बहरहाल, लेखक-निर्देशक ने इस प्रेम कहानी में हिंदी फिल्मों में सैकड़ों बार दिखाए जा चुके प्रसंगों, दृश्‍यों और संवादों का सहारा लिया है। पटकथा और दृश्य संरचना में ढीलापन है। बार-बार लगता है कि हम देखी हुई फिल्मों की नकल देख रहे हैं।
कलाकारों में केवल वीरेंद्र सक्सेना और केके रैना ही अपने किरदारों के साथ न्याय कर सके हैं। बाकी सारे कलाकारों के अभिनय में नकल और नाटकीयता है। शामू और राधा की मुख्य भूमिका निभा रहे हर्षवर्धन एवं चेरी मार्डिया अभी नए और अनगढ़ हैं। उनके चरित्रों को सही ढंग से गढ़ा भी नहीं गया है। लोकेशन की स्थानीयता प्रभावित करती है, लेकिन बार-बार नदी, पुल और ताजमहल का दिखना प्रभाव कम करता है। मुंबई के दृश्य भी घिसे-पिटे तरीके से पेश किए गए हैं। शामू के दोस्त के रूप में आए अभिनेता केतन सिंह में स्पार्क है, लेकिन उन्हें भी निर्देशक ने कैरीकेचर बना दिया है।
'जिगरिया' उत्तर भारत के रंग और खुशबू के बावजूद निर्देशकीय सीमाओं के कारण सामान्य फिल्म बनकर रह गई है।

Ikkiss Topon Ki Salami : Film Review by Ajay Shastri (3 Star)

फिल्म समीक्षा : इक्कीस तोपों की सलामी
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फिल्म समीक्षक : अजय शास्त्री 
(संपादक) बॉलीवुड सिने रिपोर्टर
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प्रमुख कलाकार: अनुपम खेर, नेहा धूपिया और दिव्येंदु शर्मा।
निर्देशक: रवींद्र गौतम
संगीतकार: राम संपत
रेटिंग : तीन स्टार 
अवधि: 140 मिनट
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(बीसीआर) एडल्ट कॉमेडी के दौर में तंज कसने वाली फिल्म की भी अपनी ऑडिएंस है। 'फंस गए रे ओबामा', 'जॉली एलएलबी' और 'दो दूनी चार' उस मिजाज की स्तरीय फिल्में रही हैं। 'इक्कीस तोपों की सलामी' भी उसी तेवर और कलेवर की फिल्म है। फिल्म के कहानीकार राहिल काजी और निर्देशक रवींद्र गौतम भी अपने मकसद में सफल हुए हैं। फिल्म की यूएसपी उसका इमोशनल कार्ड है। वह कई मौकों पर दर्शकों के दिल को छूती है। वह साथ ही मुंबई शहर की जुझारू और लोगों की सहयोगी प्रवृत्ति भी दिखाती है।
फिल्म ईमानदार नगर निगम कर्मचारी पुरुषोत्तम नारायण जोशी के संघर्ष की कहानी है। वह गर्व से मच्छरों को भगाने वाली दवा का छिड़काव करता है। वह उसे छोटा काम नहीं मानता। खुद्दारी के चलते वह अपना सारा जीवन गुरबत में काट देता है, मगर समझौते नहीं करता। उसकी सोच व हालत से दोनों बेटे सुभाष और शेखर परेशान हैं। दोनों आज केयुवाओं की तरह ढेर सारा पैसा कमाना चाहते हैं। सुभाष भ्रष्ट सीएम के लिए काम करता है। शेखर अपने पिता की तरह निगम कर्मचारी ही है। रिटायरमेंट वाले दिन पुरूषोत्तम पर चोरी का इल्जाम लगता है। यह सदमा वे बर्दाश्त नहीं कर पाते। उनके अंत समय में सुभाष और शेखर को अपनी गलतियों का एहसास होता है। वे अपने मरहूम पिता का खोया सम्मान लौटाने निकल पड़ते हैं। वे ठान लेते हैं कि पिता के पार्थिव शरीर को इक्कीस तोपों की सलामी दिलानी है। उस काम में उनका साथ देती है सीएम की पीए तान्या श्रीवास्तव।
राहिल काजी ने दिलचस्प कथा रची है, जो इशारों-इशारों में नेताओं व मीडिया बिरादरी के स्याह पक्ष को पेश करती है। नेहा धूपिया संघर्षरत अभिनेत्री की भूमिका में हैं। उनका नाम जयप्रभा है। फिल्म के हर सीन एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। वे तेज गति और रोचक तरीके से भ्रष्टाचार और ईमानदारी के अंतद्र्वंद्व को पेश करती है। अनुपम खेर ने जानदार परफॉर्मेंस दी है। पुरुषोत्तम जोशी के अवतार में बेबस मगर अपने सिद्धांतों पर अडिग रहने वाले शख्स की भूमिका को उन्होंने जीवंत बना दिया है। दिव्येंदु शर्मा का कॉमिक अवतार लोगों ने अब तक देखा है, मगर यहां उनका विद्रोही रूप असर छोड़ता है। फिल्म की हीरोइन अदिति शर्मा भी अपने किरदार तान्या और राजेश शर्मा भ्रष्ट सीएम के रोल के संग न्याय करती हैं। फिल्म का संगीत भी निराश नहीं करता।

Tamanche : Film Review by Ajay Shastri (3 Star)

फिल्म समीक्षा : तमंचे
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फिल्म समीक्षक : अजय शास्त्री 
(संपादक) बॉलीवुड सिने रिपोर्टर
Email: editorbcr@gmail.com
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प्रमुख कलाकार: निखिल द्वेदी  और रिचा चड्ढा
निर्देशक: नवनीत बहल
रेटिंग : तीन स्टार 
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(बीसीआर) "तमंचे" फिल्म एक अलग तरह की फिल्म है. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि हिंदी फिल्मों की रोमांचक अपराध कथाओं में अमूमन हीरो अपराध में संलग्न रहता है। हीरोइन किसी और पेशे या परिवार की सामान्य लड़की रहती है। फिर दोनों में प्रेम होता है। 'तमंचे' इस लिहाज से एक नई कथा रचती है। यहां मुन्ना (निखिल द्वेदी) और बाबू (रिचा चड्ढा) दोनों अपराधी हैं। अचानक हुई मुलाकात के बाद वे हमसफर बने। दोनों अपराधियों के बीच प्यार पनपता है, जो शेर-ओ-शायरी के बजाय गालियों और गोलियों केसाथ परवान चढ़ता है। निर्देशक की नई कोशिश सराहनीय है।
मुन्ना और बाबू की यह प्रेम कहानी रोचक है। एक दुर्घटना के बाद पुलिस की गिरफ्त से भागे दोनों अपराधी शुरू में एक-दूसरे के प्रति आशंकित हैं। साथ रहते हुए अपनी निश्छलता से वे एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं। मुन्ना कस्बाई किस्म का ठेठ देसी अपराधी है, जिसने वेशभूषा तो शहरी धारण कर ली है, लेकिन भाषा और व्यवहार में अभी तक भोलू है। इसके पलट बाबू शातिर और व्यवहार कुशल है। देह और शारीरिक संबंधों को लेकर वह किसी प्रकार की नैतिकता के द्वन्द में नहीं है। हिंदी फिल्मों में आ रही यह नई सोच की लड़की है। मुन्ना भी इस मामले में कस्बाई नैतिकता से निकल चुका है। दोनों अपनी मजबूरियों और सीमाओं को जानते हुए हद पार करने की कोशिश करते हैं। दोनों के बीच प्रेम का मजबूत तार है।
प्रोडक्शन के पहलुओं से थोड़ी कमजोर यह फिल्म किरदारों और कलाकारों की वजह से उम्दा बनी रहती है। यों सारे किरदार कुछ जदा ही बोलते नजर आते हैं। लेखक-निर्देशक शब्दों और संवादों में संयम रख पाते तो निखिल और रिचा के परफॉर्मेंस को स्पेस मिलता। रिचा समर्थ अभिनेत्री हैं। वह बाबू के जटिल चरित्र को बारीकी से पेश करती है। उन्होंने विपरीत भावों को साथ-साथ निभाने में दक्षता दिखाई है। निखिल ने भी मुन्ना के किरदार को खास बना दिया है, लेकिन एक्सप्रेशन और परफॉरमेंस में उनका संकोच जाहिर होता है। ऐसा लगता है कि उन्हें और खुलने की जरूरत है। राणा के किरदार को निभा रहे दमनदीप सिद्धू को लेखक-निर्देशक ने पर्याप्त मौका दिया है। वे प्रभावित भी करते हैं, लेकिन याद नहीं रह पाते। वे किरदार की चारित्रिक विशेषता नहीं रच पाए हैं।
हिंदी में इस विधा की फिल्में नहीं के बराबर हैं। यह फिल्म थोड़ी अनगढ़ और अपरिपक्व लगती है। इसके बावजूद 'तमंचे' अपनी नवीनता के कारण उल्लेखनीय है। हम सभी जानते हैं कि निखिल द्वेदी और रिचा चड्ढा हिंदी फिल्मों के पॉपुलर चेहरे नहीं हैं। उन्होंने अपनी अदाकारी और ईमानदारी से 'तमंचे' को मजबूती दी है। वे फिल्म की आंतरिक कमियों की भी भरपाई करते हैं।

The Shaukeens, Film Press Conference at Imperial hotel in New Delhi by BCR NEWS


Akshay Kumar & his Cast came for ‘the Shaukeens’ Film Press Conference at Imperial hotel in New Delhi, Coverage by BCR NEWS



BCR NEWS (New Delhi) Akshay Kumar & his cast came for his upcoming movie ‘The Shaukeens’ Press Conference at Imperial Hotel (near Janpath).  Akshay Kumar, Anupam Kher, Annu Kapoor, Piyush Sharma & director of the film Abhishek Sharma addressed the press conference.

This movie is remake of “the Shaukeens” 1982.Its a Hindi Comedy genre based film directed by Abhishek Sharma. The film features Anupam Kher, Annu Kapoor, Piyush Sharma along with Lisa Haydon.

The Film is going to be released on 7th November. Apart from the actions, thriller, Akshay’s fans are waiting for a different mood. Here various artists confronted each other. Also the popular singer Yo Yo Honey Sigh (Alcoholic & Manali Trance) has been signed to sing for this film.

Akshay Kumar shared his view on comedy type movies “In India, actors who performs the role of a comedian are not appreciated that much as it deserves. See, in Foreign Comedian actors are honored with National Awards and are loved by audience.”

“Here, in our industry the actor who gets ‘Best Romantic Award is called as Best actor’ of the movie but comedian actor gets only a ‘Best comedian Award’ he is not considered as ‘Best Actor’. This is somehow is really disappointing. Making laugh other is not an easy job, it’s really a tough job & yes we hope that our audience will love ‘the Shaukeens’ movie.

Anupam Kher told the media that there are five actors who are from NSD (National School of Drama) “I, Annu Kapoor, Piyush Sharma, and two other actors who are not present here are from NSD”.

Lisa Haydon was supposed to come but due to her bad health she didn’t come. “Actually, Lisa is ill; she has dengue that is why she could not come here to attend this press conference.” –Akshay told.

Piyush Sharma told the media about their movie ‘the Shaukeens’.

“People can watch ‘the Shaukeens’ Film with their families, there is no Sex jokes in the movie, it is a free from vulgar type of things, and you can enjoy our Film with friends, families & relatives” – Piyush Sharma said.

Haider : Film Review by Ajay Shastri (3.5 Star)

फिल्म समीक्षा : हैदर
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फिल्म समीक्षक : अजय शास्त्री 
(संपादक) बॉलीवुड सिने रिपोर्टर
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प्रमुख कलाकार: शाहिद कपूर, श्रद्धा कपूर, तब्‍बू, इरफान खान और केके मेनन.
निर्देशक: विशाल भारद्धाज 
संगीतकार: विशाल भारद्धाज 
रेटिंग : 3.५ स्टार 
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(बीसीआर) विशाल भारद्धाज की 'हैदर' एक बदहवास दौर में 1995 की घटनाओं का जाल बुनती है। 'मकबूल' और 'ओमकारा' के बाद एक बार फिर विशाल भारद्धाज ने शेक्सपियर के कंधे पर अपनी बंदूक रखी है। उन्होंने पिछले दिनों एक इंटरव्यू में कहा कि प्रकाश झा ने अपनी फिल्मों में नक्सलवाद को हथिया लिया वर्ना उनकी 'हैदर' नक्सलवाद की पृष्ठभूमि में होती। जाहिर है विशाल भारद्वाज को 'हैदर' की पृष्ठभूमि के लिए राजनीतिक उथल-पुथल की दरकार रही होगी। अन्यथा प्रेम, घृणा, प्रतिशोध और प्रेम की कहानी 'हैदर' मुंबई के कारपोरेट और दिल्ली के पॉलिटिकल बैकड्रॉप में से रोचक तरीके से कही जा सकती है। शेक्सपियर का नाटक 'हैमलेट' होने और न होने के प्रश्न को स्थायी प्रासंगिकता देती है। दुनिया भर के फिल्मकार और रंगकर्मी इसे अपने संदर्भ और परिवेश में पेश करते हैं। विशाल भारद्धाज ने कश्मीर चुना है।
विशाल भारद्धाज निस्संदेह अपनी पीढ़ी के समर्थ और संवेदनशील फिल्मकार हैं। बाजार और फैशन के दवाब से परे जाकर वे क्रिएटिव कट्टरता के साथ फिल्में बनाते हैं। अपनी फिल्मों के क्रिटिकल अप्रिसिएशन से संतुष्ट विशाल भारद्वाज को आम दर्शकों की कभी परवाह नहीं रही। इस मामले में वे आत्मनिष्ठ और आत्ममुग्ध फिल्मकार हैं। उनकी फिल्मों में भावना और संवेदना का घनत्व ज्यादा रहता है। कथ्य की इस सघनता से उनका शिल्प भी गाढ़ा और जटिल होता है। अच्छी बात है कि उनकी फिल्मों की अनेक व्याख्याएं हो सकती हैं। विशाल भारद्वाज 'हैदर' में भी सरल नहीं हैं। उन्होंने शेक्सपियर के 'हैमलेट' से प्रेरित 'हैदर' को और परतदार एवं जटिल बना दिया है।
'हैदर' नायक हैदर के प्रतिशोध से ज्यादा गजाला की ग्लानि और दुविधा को लेकर चलती है। अंदर की आंच कम करने की सलाह देते पिता के कथन का मर्म गजाला की आत्मकथन में भी व्यक्त होता है, जब वह बेटे हैदर के सामने अपनी व्यथा जाहिर करती है। जाने-अनजाने फिल्म की मुख्य घटनाओं की वजह बनती गजाला अनायास हैदर से फिल्म की केंद्रीयता छीन लेती है। विशाल भारद्धाज ने 'हैमलेट' की अपनी प्रस्तुति में कुछ किरदार जोड़े हैं। उन्होंने नाटक की नाटकीयता के फिल्म के शिल्प में बखूबी ढाला है। रूहदार दिखता तो अलग किरदार है, लेकिन वह हैदर के पिता की रूह ही है। वही हैदर को इंतकाम केलिए प्रेरित करता है। खुर्रम की वासना और लालसा हैदर की मां पर फरेब डालती है। उसकी आंखों में गोली मार कर इंतकाम लेने के पिता के संदेश से सक्रिय हैदर प्रतिशोध की आग में कवि से हत्यारा बन जाता है।
'हैदर' में सभी कलाकार अपने किरदारों को प्रभावशाली तरीके से जीने की मेहनत करते हैं। इनमें गजाला बनी तब्बू और खुर्रम बने केके मेनन अपने प्रयासों में सफल रहते हैं। हालांकि दोनों अपनी मुग्धकारी प्रतिभाएं अनेक फिल्मों में साबित कर चुके हैं, लेकिन इस फिल्म में विशाल के निर्देशन में उन्हें फिर से निखरते देखना अच्छा लगता है। शाहिद कपूर ने हैदर के बाहरी रूप को अच्छी तरह अंगीकार किया है। वे किरदार के आंतरिक द्वेष और प्रतिशोध को सही अनुपात में आत्मसात नहीं कर सके हैं। श्रद्धा कपूर अदायगी और संवाद अदायगी दोनों में विफल रही हैं। उनका खूबसूरत चेहरा भावों के अनुरूप नहीं बदलता। ललित परिमू, आशीष विद्यार्थी जैसे सहयोगी किरदारों की वेशभूषा पर ध्यान नहीं दिया गया है। इरफान सिद्धहस्त अभिनेता हैं। उनकी मौजूदगी ही काफी लगती है। यहां वे रूहदार को तरजीह देते नहीं दिखाई पड़ते। 'हैदर' की खोज है नरेंद्र झा। हैदर के पिता के रूप में उन्होंने शानदार परफारमेंस दी है।
'हैदर' है तो 1995 के कश्मीर की पृष्ठभूमि पर, लेकिन फिल्म में उस साल की राजनीतिक घटनाओं का कोई रेफरेंस नहीं है। उस साल कश्मीर में विदेशी पर्यटकों की हत्या से लेकर चरार-ए-शरीफ की आगजनी जैसी बड़ी घटनाएं हुई थीं। 'हैदर' में कहीं भी उनका हवाला नहीं मिलता। फिल्म में 'अफ्सपा(आम्र्ड फोर्सेज स्पेशल पॉवर एक्ट) का चुत्जपा भर किया गया है। विशाल भारद्वाज की फिल्मों में लतीफे और मजाकिया किरदार भी रहते हैं। इस फिल्म में अभिनेता सलमान खान के प्रतिरूप बने दोनों सलमान और लतीफों पर हंसी तो आती है, मगर यह हंसी फिल्म के अभिप्राय को कमजोर करती है।

Baing Baing : Film Review by Ajay Shastri (3 Star)

फिल्म समीक्षा : बैंग बैंग
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फिल्म समीक्षक : अजय शास्त्री
(संपादक) बॉलीवुड सिने रिपोर्टर
Email: editorbcr@gmail.com
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प्रमुख कलाकार: रितिक रोशन, कट्रीना कैफ, डैनी डेन्‍जोंगपा और जावेद जाफरी
निर्देशक: सिद्धार्थ आनंद
संगीतकार: विशाल-शेखर
रेटिंग : ३ स्टार
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(बीसीआर) फिल्म "बैंग बैंग" को हॉलीवुड की फिल्म 'नाइट एंड डे' का अधिकार लेकर हिंदी में बनाया गया है, पर आरोप नहीं लग सकता कि यह किसी विदेशी फिल्म की नकल है। हिंदी फिल्मों में मौलिकता के अभाव के इस दौर में विदेशी और देसी फिल्मों की रीमेक का फैशन सा चल पड़ा है। हिंदी फिल्मों के मिजाज के अनुसार यह थोड़ी सी तब्दीली कर ली जाती है। संवाद हिंदी में लिख दिए जाते हैं। दर्शकों को भी गुरेज नहीं होता। वे ऐसी फिल्मों का आनंद उठाते हैं। सिद्धार्थ आनंद की 'बैंग बैंग' इसी फैशन में बनी ताजा फिल्म है।
इस फिल्म के केंद्र में देश के लिए काम कर रहे सपूत राजवीर की कहानी है। हर प्रकार से दक्ष और योग्य राजवीर एक मिशन पर है। हरलीन के साथ आने से लव और रोमांस के मौके निकल आते हैं। बाकी फिल्म में हाई स्पीड और हाई वोल्टेज एक्शन है। पूरी फिल्म एक के बाद एक हैरतअंगेज एक्शन दृश्यों से भरी है, जिनमें रितिक रोशन विश्वसनीय दिखते हैं। उनमें एक्शन दृश्यों के लिए अपेक्षित चुस्ती-फुर्ती है। उनके साथ कट्रीना कैफ भी कुछ एक्शन दृश्यों में जोर आजमाती है। वैसे उनका मुख्य काम सुंदर दिखना और अपनी मोहब्बत से राजवीर का हौसला बनाए रखना है। वह इस जिम्मेदारी को पिछली फिल्मों की तरह ही कुशलता से निभाती हैं।
'बैंग बैंग' रितिक रोशन के प्रशंसकों के लिए है। उन्होंने इस अवतार में रितिक रोशन को नहीं देखा होगा। हालांकि रितिक रोशन 'धूम' सीरिज कर चुके हैं, फिर भी 'बैंग बैंग' को 'धूम' सीरिज की ही एक और फिल्म कहा जा सकता है। इस फिल्म के एक्शन दृश्यों की गति और स्फूर्ति के लिए रितिक रोशन को बधाई देनी होगी। थोड़ी कहानी होती और बाकी किरदारों को स्पेस मिला होता तो फिल्म रोमांचक होने के साथ रोचक भी हो जाती। बीच समुद्र के एक्शन दृश्यों में रितिक रोशन की चपलता देखते ही बनती है।

फिल्म "सुपर नानी" में शाहरुख़ खान ?

फिल्म "सुपर नानी" में शाहरुख़ खान ?
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अजय शास्त्री ( संपादक)
बॉलीवुड सिने रिपोर्टर
Email: editorbcr@gmail.com
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बीसीआर (रामचन्द्र यादव/मुंबई) जी हाँ, दोस्तों लोकप्रिय मिमिक्री कलाकार राजू रहिकवार उर्फ़ जूनियर शाहरुख़ खान की फिल्म "सुपर नानी" 31 अक्टूबर से पूरे भारत में प्रदर्शित हो रही है, जूनियर शाहरुख़ खान, हिंदी फिल्म - सुपर नानी में सशक्त भूमिका में नज़र आ रहे  हैं। अपने जमाने की ब्युटी क्वीन रेखा इस  फिल्म में केन्द्रीय भूमिका निभाकर फिर से बॉलीवुड में वापसी कर रही हैं। इस फिल्म का निर्माण एवं निर्देशन किया है बेटा, दिल, इश्क, मन इत्यादि सुपर हिट फ़िल्मों के सुप्रसिद्ध निर्देशक - इंद्र कुमार ने। इस फिल्म में राजू रहिकवार के अलावा मुख्य भूमिका में  रेखा, शरमन जोशी, प्रेमा (थ्री इडियट फेम) तथा मराठी फिल्म स्टार विजय पाटकर आदि हैं।

 इसके पहले छोटे परदे का लोकप्रिय हास्य धारावाहिक तारक मेहता का उल्टा मेहता में 28, 29,30 अक्टूबर को  धमाल  मचा चुके हैं। इनकी  खास बात यह है कि  ये अपनी अभिनय कला और मिमिक्री से कहीं भी किसी भी शो में दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं और शाहरुख़ खान की कमी को पूर्ति कर देते हैं।
राजू रहिकवार उर्फ़ जूनियर शाहरुख़ खान ने अपने 16 साल के करियर में  अब तक आर्केस्ट्रा, स्टेज शो, सोनी टीवी चैनल का शो बुगीवुगी, स्टार प्लस चैनल सिने अवार्ड शो, एम टीवी के रोड टू लव, रियलिटी शो, गुजरात फिल्म गीत, अल्बम तथा कई भोजपुरी फिल्मों में अपनी अभिनय कला, डांसिंग परफार्म तथा मिमिक्री के जलवे बिखेर चुके हैं। 

स्काईगॉट की शुरुआत रूद्र प्रताप सिंह त्यागी के जन्मदिन पर

स्काईगॉट की शुरुआत रूद्र प्रताप सिंह त्यागी  के जन्मदिन पर 
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अजय शास्त्री (संपादक) 
बॉलीवुड सिने रिपोर्टर 
Email: editorbcr@gmail.com
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बीसीआर (रामचन्द्र यादव/मुंबई) डिजिटल नेटवर्क की दुनियाँ में क्रांति लाने वाली ’स्काईगॉट डिजिटल नेटवर्क’  के माध्यम से फ्री वीडियो कॉलिंग व वॉइस कॉलिंग और चैटिंग को बहुत ही आसान बनाने की पहल कर दी गई है। स्काईगॉट डिजिटल नेटवर्क एप्लिकेशन की शुरुआत आने वाले भविष्य का जगमगाता हुआ सितारा मास्टर रूद्र प्रताप सिंह त्यागी के जन्मदिन पर बर्थडे केक काटकर की गई है। ’स्काईगॉट डिजिटल नेटवर्क’ के इन एसोसिएट व्रत्ति इंटरटेनमेंट प्रा. लि. हैं। 
गौरतलब है कि ’स्काईगॉट डिजिटल नेटवर्क’  एक ऐसा फ्री एप्लिकेशन है जो यू ट्यूब की तरह आसानी से वीडियो अपलोड करने तथा आसानी से देखने की सुविधा प्रदान करता है।  यह एप्लिकेशन थ्री जी नेटवर्क के अलावा टू जी नेटवर्क पर भी तीव्र गति से काम करेगा ताकि जहां पर थ्री जी का नेटवर्क नहीं होता है वहाँ पर भी यूजर स्काईगॉट का लाभ ले सकें। स्काईगॉट एप्प में स्काईगॉट टू स्काईगॉट फ्री वॉइस वीडियो कॉल के साथ अपना बैंक अकाउंट जोड़कर किसी भी मोबाईल नम्बर पर कॉल करने पर प्राइवेट नंबर की सुविधा देता है। इसके अलावा स्काईगॉट एप्प से फेसबुक, व्हाट्सएप्प, हाईक, वाईबर इत्यादि को भी मैसेज किया जा सकता है क्योंकि इन सभी एप्प्स पर ’स्काईगॉट डिजिटल नेटवर्क’ के जरिये ऑनलाइन होने की सुविधा दी गई है। स्काईगॉट वेब पोर्टल में न्यूज, ऑडिशन पोस्ट, ऑनलाइन वीडियो, एमपी थ्री प्ले डाउनलोड, फोटो शूट इत्यादि की सुविधा उपलब्ध है।
 ’स्काईगॉट डिजिटल नेटवर्क’ के निदेशक से मिली जानकारी के अनुसार यदि यूजर चाहते हैं कि  स्काईगॉट में वीडियो अपलोड ना करके यू ट्यूब में ही अपलोड करना चाहते है तो भी स्काईगॉट के वेब पोर्टल में जाकर ’स्काईगॉट डिजिटल नेटवर्क’ को फिलअप कर होने वाली आमदनी का 70 प्रतिशत मुनाफा कमा सकते हैं। 

दंड नायक का संगीतमय मुहूर्त संपन्न

दंड नायक का संगीतमय मुहूर्त संपन्न
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अजय शास्त्री (संपादक)
बॉलीवुड सिने रिपोर्टर
Email: editorbcr@gmail.com
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बीसीआर (रामचन्द्र यादव/मुंबई) सिंह क्रियेशन कृत संगीतमय पारिवारिक भोजपुरी फिल्म "दंड नायक" का मुहूर्त मुम्बई के एम फॉर यू रिकॉर्डिंग स्टूडियो में धूमधाम से किया गया। फिल्म का मुहूर्त गीत सुप्रसिद्ध पार्श्वगायिका इन्दू सोनाली ने गाया है। फिल्म निर्मात्री पल्लवी सिंह द्धारा निर्मित की जा रही इस फिल्म "दंड नायक" में ऐक्शन, प्यार, रोमांस  के साथ ही साथ सिनेप्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर देने वाले कई  आकर्षक कारनामें हैं। फिल्म निर्मात्री पल्लवी सिंह का कहना है कि **हमारी फिल्म - "दंड नायक" दर्शकों का मनोरंजन करने साथ-साथ समाज को सन्देश भी देगी। हमारी यह फिल्म मील का पत्थर साबित होगी। इस फिल्म के लेखक - निर्देशक मिथिलेश अविनाश हैं। संगीतकार - छोटे बाबा तथा गीतकार - राजेश मिश्रा  अशोक सिन्हा हैं। इस फिल्म के जरिये नवोदित अभिनेता - संजय धीवर बतौर हीरो अपना फ़िल्मी करियर की शुरुआत कर रहे हैं। फिल्म के अन्य कलाकारों का चयन जारी है। 

"हीरो गमछा वाला" की एडिटिंग शुरू

"हीरो गमछा वाला" की एडिटिंग शुरू
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अजय शास्त्री (संपादक)
बॉलीवुड सिने रिपोर्टर
Email: editorbcr@gmail.com
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बीसीआर (सोनू निगम/बिहार) आकाश इन्टरटेनमेन्ट के बैनर तले निर्माता रितेश ठाकुर निर्देशक विष्णु शंकर बेलु की बहुचर्चित फिल्म "हीरो गमछा वाला" की ऐडिटिंग आज कल काफी जोरों से चल रही है फिल्म में यस मिश्रा, संगीता तिवारी, अंजना सिंह, राजन मोदी, प्रकाश जैस, भाई ठाकुर, हीरा यादव, पल्लवी, विपिन सिंह प्रमुख किरदार में है इस फिल्म के लेखक एस0 के0 चैहान कैमरा महेश बेंकेट संगीत छोटे बाबा गीत विनय बिहारी, आजाद सिंह, फनिन्द्र राव, नृत्य राम देवगन कला अवदेश राय फाईट हीरा यादव का है. फिल्म की शुटिंग सीतामढ़ी व मुम्बई के विभिन्न लुकेशनो पर हुई है। फिल्म में एक से बढ़कर एक गाना फिल्माया गया है फिल्म जल्द ही आप लोग के बीच में होगी।

रितेश ठाकुर की फिल्म "सपेरा" का डबिंग जोरों से

रितेश ठाकुर की फिल्म "सपेरा" का डबिंग जोरों से
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अजय शास्त्री (संपादक)
बॉलीवुड सिने रिपोर्टर
Email: editorbcr@gmail.com
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बीसीआर (सोनू निगम/बिहार) भोजपुरी के जाने माने निर्माता रितेश ठाकुर की फिल्म सपेरा की डविंग इन दिनों मुम्बई के सनकालेन स्टुडियों में जोर से चल रही है। फिल्म के निर्देशक विष्णु शंकर बेलु है पवन सिंह व यस मिश्रा का जबरदस्त टक्कर फिल्म में देखने को मिलेगा इनके अलावा ब्रजेश त्रिपाठी अनुप अरोरा प्रकाश जैस  रितु सिंह मनीषा सिंह, विकेस सिंह पल्लवी भाई ठाकुर प्रमुख भुमिका में नजर आऐंगे। फिल्म के लेखक मनोज कुशवाहा कैमरा महेश बेंकेट, संगीत छोटे बाबा, गीत विनय बिहारी, फनिन्द्र राव, आजाद सिंह नृत्य राम देवगन कला अवदेश राय, फाईट हीरा यादव का है फिल्म में नौ गाना है जो काफी कर्णप्रीय है जो दर्शकों को बहुत पसंद आएंगे। बहुत ही जल्द ये फिल्म दर्शकों के बीच होगी