Report by Ajay Shastri
बीसीआर न्यूज़/दिल्ली: इंसान अगर चाहे तो कुछ भी कर सकता है, बस जज़्बे और जुनून की जरुरत होती है, जिस दिन आपने ये ठान लिया कि आंधी आये या तूफ़ान मुझे ये करना है तो करना है, उस कार्य को स्वयं भगवान् भी आकर नहीं रोक सकते। जी हाँ, ऐसी ही जज़्बे और जुनून वाली महिला से हम आपकी आज मुलाकात कराने जा रहे हैं जिन्होंने एक मिसाल कायम की है और गांव दर गांव जाकर लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ गांव के इतिहास को विश्व पटल पर ला रही हैं और समाज को एक नई दिशा देने का प्रयास कर रही हैं। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं पारुल चौधरी की, जिनका जन्म उत्तर प्रदेश के जिला बागपत के गांव तुगाना में हुआ, पिता का नाम देवराज सिंह, माता का नाम सुदेशना, पारुल ने देहरादून से शिक्षा प्राप्त की है और शादी हुयी है जिला बिजनौर के अवनीश आर्य से।
आपको बता दें तुगाना की रहने वाली पारुल चौधरी ने एक मुहीम शुरू की है ये मुहीम है - '75 दिन - 75 गांव'। इस मुहीम के तहत पारुल ने सभी गांव की सुंदरता, गांव का इतिहास, गांव में ऐसी कौन सी ऐतिहासिक चीज हैं जिसको विश्व पटल पर सार्वजानिक की जाये, जिससे जिला बागपत के साथ-साथ उत्तर प्रदेश का नाम भी रोशन हो सके क्योंकि जिला बागपत में लगभग सभी गांव का अपना एक इतिहास रहा है वह चाहे किसी भी क्षेत्र में हो।
इस मुलाकात के दौरान पारुल ने बताया कि '75 दिन - 75 गांव' की इस मुहीम में उनको सबसे ज्यादा सहयोग उनके ससुर विनय चौधरी, उनके भाई आदित्य और उनके पति अवनीश आर्य का मिल रहा है।
पारुल चौधरी की इस चुनौती भरी मुहीम के मुताबिक से ये भी जग-जाहिर हो रहा है कि पहले के मुताबिक अब उत्तर प्रदेश में लड़कियां कितनी सुरक्षित हैं और लड़कियां खुले आसमान के नीचे सांस ले रही है और अपने सपनो को पूरा कर रहीं हैं।
पारुल ने अभी तक 25 गांव का सफर तय कर लिया है जो बहुत ही आनंदमयी और सफल साबित हुआ है, इस सफर में जो प्यार-दुलार पारुल को मिल रहा है वह ये साबित करता है कि जिला बागपत के हर गांव में अभी भी वही इंसानियत मौजूद है जो हम वर्षों से हम सुनते आ रहे हैं।
पारुल के मुताबिक '75 दिन-75 गांव' की इस मुहीम का सफर अभी जारी है आशा करती हूँ कि आगे का सफर भी ऐसे ही प्यार-दुलार के साथ पूरा हो जायेगा और ये सफर एक ऐतिहासिक मिसाल भी कायम करेंगा जिसका हम अभी से अनुभव कर रहे हैं। आपको बता दें कि जब हमने इस सफर को शुरू किया था उस वक़्त थोड़ी सी कठिनाइयों का सामना तो हमें करना पड़ा था क्योंकि एक लड़की का घर से निकल कर इस तरह से गांव - गांव घूमना और प्रत्येक गांव को विश्व पटल पर लाना, किसी भी चुनौती से कम नहीं था मगर अब ये सफर बहुत ही आसान हो गया है और हम आसानी से इस सफर का आनंद लेते हुए इस चुनौती भरे सफर को पूरा कर रहे है इसके लिए सभी क्षेत्रवासियों का बहुत-बहुत धन्यवाद।
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