Tuesday, 8 July 2014

फिल्में, मनोरंजन और मस्ती की पाठशाला

फिल्में, मनोरंजन और मस्ती की पाठशाला
दिल्ली में अद्भुत अनुभव देकर अन्य शहरों की यात्रा पर अग्रसर हुआ फिल्म समारोह!!
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अजय शास्त्री (संपादक) बॉलीवुड सिने रिपोर्टर 
Email: editorbcr@gmail.com
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बीसीआर (नई दिल्ली, 9 जुलाई) सिनेमा समाज का आईना है और हर व्यक्ति अच्छे व अर्थपूर्ण सिनेमा को तवज्जो देता है। एक ऐसा सिनेमा जो लोगों को बदल सके और लोग समाज को। ऐसे ही सशक्त सिनेमा के साथ-साथ यदि दर्शकों को फिल्मकारों के साथ रूबरू होने का अवसर मिले और सीखने को मिले तो सोने पर सुहागा वाली बात सार्थक हो जाती है या यूं कहें कि दर्शकों को फिल्मी मनोरंजन के साथ-साथ मस्ती की पाठशाला का प्रतिभागी बनने का अवसर मिल जाता है। कुछ ऐसे ही अवसर का पिछले दिनों दिल्लीवासियों ने जमकर लुत्फ उठाया 5वें जागरण फिल्म फेस्टिवल के दौरान।

सिरीफोर्ट सभागार में आयोजित किये गये चार दिवसीय इस फिल्म समारोह में चुनिंदा भारतीय फिल्मों की स्क्रीनिंग के साथ-साथ, मास्टर फिल्ममेकर्स के साथ वर्कशाॅप, विश्वभर के 35 देशों से चयनित 25 अन्तर्राष्ट्रीय व भारतीय शाॅर्ट फिल्म और 13 फिल्मों का एशियन प्रीमियर किया गया। इनके अतिरिक्त ‘सिनेमा आॅफ द अपराइजिंग’ श्रेणी के तहत 7 विशिष्ट फिल्में भी प्रदर्शित की गयी। जिनके माध्यम से न केवल अर्थपूर्ण सिनेमा की तरफ दर्शकों का खासा रूझान देखने को मिला बल्कि मनोरंजन से परे फिल्मकारों के साथ विचार-विमर्श हेतु दर्शकों का उत्साह भी जबरदस्त रहा।


शोमैन सुभाष घई, सुधीर मिश्रा, हंसल मेहता, अनुभव सिन्हा, विक्रमादित्य मोटवानी और राहुल भट्ट की उपस्थिति में शुरू हुए इस समारोह में चारों ही दिन प्रदर्शित की जा रही फिल्मों से जुड़ी हस्तियों ने शिरकत की साथ ही फिल्मों के उपरान्त दर्शकों से रूबरू होकर वाह-वाही लूटी और उनके सवालों के जवाब भी किये। इन हस्तियों में निर्देशक श्याम बेनेगेल, टी.पी. अग्रवाल, संदीप वर्मा, संजीव गुप्ता, टी हरिहरन, राजेन्द्र तलक, फिरोज़ अब्बास खान सहित एक्टर रजत कपूर, विजय राज व पवल मल्होत्रा आदि प्रमुख थे।

जे.एफ.एफ. के माध्यम से दर्शकों सहित सिनेमा में नये आयाम कायम करने की पहल की गई जिनमें ‘कंट्री फोकस’ श्रेणी में साइप्रस जैसे अल्पज्ञात देश की फिल्मों को दर्शाना। ‘सिनेमा आॅफ द अपराईजिंग’ श्रेणी में मानवीय आजादी के लिए लड़ी जा रही लड़ाईयों पर बनी फिल्मों का प्रदर्शन भी आकर्षण का केन्द्र रहे। इसके अतिरिक्त जागरण शाॅर्ट श्रेणी में स्कूली छात्रों से लेकिन प्रतिभाशाली व प्रयोगधर्मी युवा फिल्मकारों को अपने कला-कौशल को प्रस्तुत करने का मौका मिला। 

मनोरंजन के साथ-साथ मस्ती की पाठशाला भी फेस्टिवल का हिस्सा रही जहां फिल्म जगत के मास्टर निर्देशक व अन्य ने ‘कास्टिंग निर्देशक क्या चाहता है’, ‘सिनेमा में निवेश’, ‘क्या स्वतंत्र सिनेमा बालीवुड पर कब्जा कर रहा है?’ किरीट खुराना के साथ ‘एनिमेशन स्टोरी टेलिंग’ पर, नये फिल्मकारों के लिए ‘लघु फिल्मों से शुरुआत’ पर और ‘सिनेमा के बारे में लिखना’ जैसे विषयों पर चर्चा हुई और युवाओं व अन्य उत्सुक श्रोताओं ने दिग्गजों से सवाल-जवाब भी किया। 

फेस्टिवल की औपचारिक शुरूआत अनुराग कश्यप की फिल्म ‘अग्ली’ से हुई। इसके बाद नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, क्या दिल्ली क्या लाहौर, गुलाब गैंग, मद्रास कैफे, हाईवे, क्वीन, क्यू, शाहिद, आंखो देखी, देख तमाशा देख, मंजूनाथ आदि जैसी फिल्मों को दर्शकों ने जमकर सराहा। इनकी एक विशिष्ट बात यह रही कि फिल्मकारों ने भी दर्शकों के बीच बैठकर अपनी फिल्मों को देखा।

जहां सुभाष घई ने अच्छे सिनेमा के प्रति दर्शकों के रूझान और ऐसे फेस्टिवल के माध्यम से दर्शकों के बीच पहुंचाने के प्रयास की सराहना की। वहीं श्याम बेनेगल ने सशक्त फिल्मों के आम दर्शकों तक पहुंचने की बात कही क्योंकि ऐसी फिल्मों को अधिक स्क्रीन नहीं मिलती पर चिंता जाहिर की। हंसल मेहता ने कम बजट में अच्छी व सशक्त फिल्में बनाने की बात कही और फिल्म शाहिद को लेकर अपने अनुभव साझा किये। टी.पी. अग्रवाल ने छोटे व कम बजट की फिल्मों के पर्याप्त प्रमोशन के लिए फिल्म इंडस्ट्री का अपना चैनल शुरू करने का सुझाव दिया। 

किरीट खुराना ने भारत में ऐनीमेशन फिल्मों के उज्जवल भविष्य पर बात करते हुए युवाओं को सशक्त अंदाज में स्टोरीटेलिंग की बात पर ध्यान देने का सुझाव दिया। समारोह के दौरान सुधीर मिश्रा ने भी दर्शकों के साथ अपने अनुभव साझा किये, चर्चा के दौरान उन्होंने कास्टिंग के विभिन्न पहलुओं पर भी बातचीत की।

जागरण समूह के वाइस प्रेसिडेंट बसंत राठोड़ ने बताया कि पिछले चार संस्करणों की तरह इस वर्ष भी हमें दिल्ली में जबरदस्त उत्साह व प्रतिक्रिया मिली है। फिल्म फेस्टिवल का उद्देश्य प्रेरणादायी फिल्मों को जनमानस तक पहुंचाना और फिल्मों के प्रति समाज में रुचि पैदा करना है और यह पहला अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल है जो लोगों तक उनके शहरों में जाकर पहुंचता है और उनके सहज माहौल में सिनेमा दिखाता है।

दिलवाले दिल्लीवासियों ने चार दिन के समारोह को हाथों-हाथ लिया और अपनी तरह के अद्भुत अनुभव देते इस समारोह का हिस्सा बने। दिल्ली के बाद जे.एफ.एफ. अब 14 अन्य शहरों की यात्रा पर अग्रसर होकर सितम्बर में मुम्बई में सम्पन्न होगा।

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