बीसीआर न्यूज़/दिल्ली: बॉलिवुड ऐक्टर और प्रड्यूसर संजय सूरी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के जाने-माने स्टार हैं। उन्होंने 1999 में 'प्यार में कभी कभी' फिल्म से ऐक्टिंग की दुनिया में कदम रखा था। उन्होंने कई फिल्मों में सपोर्टिंव रोल्स निभाए, लेकिन उन्हें 2003 में रिलीज हुई 'झनकार बीट्स' ने पहचान दिलाई। वो दशकों से बॉलिवुड में अपना योगदान दे रहे हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि संजय सूरी कश्मीरी पंडित हैं और उन्होंने व उनके परिवार ने 90 के दशक में कश्मीर में हुए नरसंहार का दर्द झेला है! क्या आप जानते हैं कि आंतकियों ने ऐक्टर के पिता की जान ले ली थी और उनकी फैमिली को मजबूरन पलायन करना पड़ा था! उन्होंने कई काली रातें जम्मू के रिफ्यूजी कैंप में भी काटी है। उनके रुपहले सफर के बारे में तो सभी जानते होंगे, लेकिन आइये अब उनकी जिंदगी के संघर्ष पर एक नजर डालते हैं।
संजय सूरी का जन्म 6 अप्रैल 1971 को श्रीनगर, कश्मीर में हुआ था। उन्होंने वहां की खूबसूरत वादियों में अपनी जिंदगी के 19 साल बिताए हैं। वो वहीं के स्कूल में पढ़ाई करते थे और उन्हें स्क्वॉश टीम के शानदार प्लेयर थे।
संजय सूरी की लाइफ में सबकुछ ठीक चल रहा था, लेकिन 90 के दशक में उनके पिता की आतंकी हमले में जान चली गई। इसके बाद उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई। उनके परिवार ने घाटी में हुई बर्बरता को करीब से देखा। इसके बाद उन्हें पलायन करना पड़ा और मजबूरन जम्मू के रिफ्यूजी कैंप में पनाह ली। इसके बाद सभी दिल्ली शिफ्ट हो गए।
संजय सूरी 90s में ही दिल्ली आ गए थे, जहां उन्होंने मॉडलिंग करना शुरू कर दी। उन्होंने कई बड़ी कंपनियों के लिए मॉडलिंग की है। हालांकि, संजय ने लंबे समय तक संघर्ष किया और करीब 9 साल बाद उन्होंने बॉलिवुड में काम मिला। हालांकि, उनकी पहली फिल्म फ्लॉप रही, लेकिन उनकी ऐक्टिंग को सराहा गया।
संजय सूरी ने 'दमन', 'फिलहाल', 'दिल विल प्यार व्यार', 'पिंजर' जैसी फिल्मों में काम किया है। ये कह सकते हैं कि उन्होंने भले ही फिल्में कम की हैं, लेकिन उनकी दमदार ऐक्टिंग ने सभी का दिल जीता है। ऐक्टिंग के अलावा संजय सूरी ने प्रोडक्शन में भी अपना हाथ आजमाया है।
संजय ने फिल्मों के अलावा वेब सीरीज में भी काम किया है। वो 'इनसाइड एज', 'लैला', 'मेंटलहुड' सहित कई शोज में काम कर चुके हैं।
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